Tuesday, March 31, 2009

बाटला के शहीद से मजाक की इजाज़त नहीं




नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय सूचना आयोग [सीआईसी] के उस आदेश पर स्थगन लगा दिया, जिसमें आयोग ने पुलिस को पिछले साल बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए इंडियन मुजाहिद्दीन के दो संदिग्धों और शहीद हुए एक पुलिस अधिकारी की पोस्टमार्टम रिपोर्टो को उजागर करने का आदेश दिया था।

न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट्ट ने दिल्ली पुलिस की एक याचिका पर आदेश जारी किया। पुलिस ने याचिका में कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट उजागर करने से राजधानी में 13 सितंबर को हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में चल रहीं जांच प्रभावित होगी।

अदालत ने उस आदेश पर भी स्थगन लगा दिया, जिसमें सीआईसी ने पुलिस को निर्देश दिया था कि सिलसिलेवार धमाकों के आरोपियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की प्रतियां सूचना के अधिकार कानून के तहत दी जाएं। पुलिस की ओर से वकील मुक्ता गुप्ता ने दलील दी कि जांच अभी जारी है और पोस्टमार्टम रिपोर्टो से जांच प्रभावित होगी, जिनमें कई सुराग हैं।

सीआईसी द्वारा नौ मार्च को जारी आदेश पर स्थगन लगाने की मांग करते हुए गुप्ता ने कहा, 'घटना में [मुठभेड़ में] दो आतंकी मारे गए और दो बच निकले। हम अभी फरार लोगों का पता लगा रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट उजागर करने से इस्तेमाल किए गए हथियारों और अन्य चीजों के संबंध में जानकारी सामने आ सकती है, जिसके आधार पर कई पुष्टि करने वाले सबूत नष्ट हो सकते हैं।' दक्षिण दिल्ली में 19 सितंबर को बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान इंडियन मुजाहिद्दीन का संदिग्ध आतंकी और सिलसिलेवार धमाकों का मुख्य आरोपी आतिफ अमीन तथा सह आरोपी साजिद मारे गए थे। इस मुठभेड़ में पुलिस निरीक्षक एमसी शर्मा भी शहीद हो गए थे।

पुलिस ने कल सीआईसी के आदेश को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। हालांकि आयोग ने पुलिस से कहा था कि प्राथमिकी में दर्ज लोगों के नाम, मुठभेड़ और जांच में शामिल अधिकारियों तथा पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों का ब्योरा हटा लें। वकील प्रशांत भूषण ने इंसपेक्टर शर्मा और मुठभेड़ में मारे गए कथित आतंकियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्राथमिकी की प्रतियों की मांग की थी। राजधानी में हुए सिलसिलेवार धमाकों के एक हफ्ते के भीतर मुठभेड़ हुई थी।

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